मौलवी साहब मैं वही बे-हया औरत हूं। जो फैक्ट्री और अस्पताल में काम करती है,और जब आप को दिल का दौरा पड़ा था तो नर्स के बे-शर्म लिबास में…
औरत की कोख से निकले, हूरों के पसतान(1) नापते मौलवी
कुफू का शाब्दिक अर्थ बराबर, मिस्ल, हमपल्ला और जोड़ होता है। इस्लामिक विद्वानों (उलेमा) द्वारा ये शब्द सामान्यतः शादी-विवाह (वर-वधू) के…
कुछ लोग बड़े दावे से कहते है कि भारतीय मुसलमानों में व्याप्त ज़ात-पात/ ऊँच-नीच की बीमारी दूसरे शब्दों में किसी को हसब-नसब (वंश) की बिनाह…
उर्दू मुख्यतः अशराफ की भाषा रही है। जिसे वो अपने राजनीतिक स्वार्थ सिद्धि के लिए पूरे मुसलमानों की भाषा बना कर प्रस्तुत करता है, जबकि…
हमारी अशराफिया मुस्लिम कयादत एड़ी चोटी का जोर लगा कर इस घटिया व्यवस्था को इस्लाम धर्म का “essentiality test” के नाम पे बचा के रखना चाहती…
'होटल रवांडा' फ़िल्म इसी रेडियों की आवाज़ से शुरू होती है। रेडियों हुतू समुदाय की भावनाओं को भड़काने के लिए झूठा प्रोपोगेंडा चलाते हैं।…
आर्थिक नरमी एक सामान्य प्रोसेस है। कोरोना के कहर से पूर्व समूचे विश्व मे यही हो रहा था। वायरस ने विश्व को रोक दिया है। कारखाने बन्द हैं,…
अक्सर पसमांदा अन्दोलन और उससे जुड़े लोगों पर यह आरोप लगाया जाता है कि पसमांदा अपने दमनकारी/उत्पीड़क अशराफ की आलोचना करने में बहुत ही अभद्र…
हम ‘वॉचमैन’ (Watchmen) की कहानी पर आते है. यहाँ सबसे पहले इस बात को समझ लें कि समानांतर ब्रह्माण्ड के सिद्धांत की खोज हो चुकी है. अब…
हम ये पाते हैं कि पसमांदा पहचान और पसमांदा समस्या को उर्दू अदब में एक सिरे से नकारा गया है. जब कार्ल मार्क्स की किताब छपी 'The Eighteenth…
यह कहा जा सकता है कि इस्लाम दो तरह का है एक अशराफ का इस्लाम और दूसरा पसमांदा का इस्लाम। पसमांदा ऊंच नीच रहित मुहम्मद के सैद्धान्तिक…
जब मुसलमानों में जाति का सवाल उठता है तो कई मुस्लिम विद्वान छटपटाहट के साथ कहते हैं - कुरान में जात-पात कहाँ? पर यहाँ सवाल कुरान का नहीं…
अपनी तमाम परेशानियों, चिंताओं और लगातार यात्राओ के बावजूद भी खत और रोज़नामचा (डेली डायरी) लिखने के अलावा अखबार, पत्रिकाओं और पुस्तको का…
जाति के विषय पर इस्लाम, हिन्दू धर्म से काफ़ी अलग है. इस्लाम में हिन्दू धर्म की तरह जाति को सैद्धांतिक मान्यता नहीं दी गई है इसलिए मेरी…
डॉक्टर अयूब राईन, ‘भारत के दलित मुसलमान’, खंड-1 में लिखते हैं कि जब भी दलित मुसलमान अपनी माँग उठाता है तो अशराफ वर्ग चालाकी से दलित…
इस्लाम धर्म एक सामुदायिक धर्म (collective religion) है. अर्थात इसके सारे कर्मकांड व्यक्तिगत न हो कर समूहों में होते हैं. सामाजिक दूरी…
अगर आंकड़ों की बात करें तो लगभग 63 लाख बुनकर परिवार भारत में हैं अर्थात करीब 2 करोड़ लोगों को इससे रोज़गार मिलता है तो सरकार की नीतियों…
सदियों से इंसानी सभ्यता ने नए-नए देवता पैदा किए। ग्रीक के देवता, मेसोपोटामिया के देवता, नॉर्स-वाइकिंग्स के देवता, ऐसे ही अंसख्य देवता इस…
विभूति नारायण राय इसी सवाल का जवाब अपनी किताब 'साम्प्रदायिक दंगे और भारतीय पुलिस' में खोजते हैं. वह हाशिमपुरा नरसंहार से इस सवाल का जवाब…
आरक्षण गरीबी दूर करने का साधन नहीं बल्कि शोषित समाज के लिए सामाजिक न्याय, लोकतंत्र और शोषणमुक्त समाज बनाने के लिए संघर्ष का नाम है. जैसा…
गालियाँ लगभग हर भाषा हर ज़ुबान में मौजूद है। तो क्या गालियाँ भाषा की सामाजिकता का अनिवार्य हिस्सा है? शायद हाँ! भाषा की सामाजिकता उसको…
घोउल की कहानी आगे बढ़ती है तो हमें पता चलता है की घोउल को निदा रहीम के अब्बू ने ही बुलाया होता हैं ताकि वह निदा को कुछ दिखा सके कुछ सीखा…
जब सरकार चुनाव सिर्फ इसलिए कराए ताकि ये दिखा सके कि किसी क्षेत्र विशेष पर अब उसका अधिकार है तब ऐसे में मन में एक सवाल उभरता है कि लोकतंत्र…
‘मसान’ (श्मशान घाट) जितनी आपको दिखती है उसकी गहराई उससे ज़्यादा है। फ़िल्म में निर्देशक नीरज घेवन इशारों-इशारों में बहुत कुछ कह जाते हैं।…
कुछ दिनों पहले एक फ़िल्म देखी The Birth of A Nation. ये फ़िल्म नैट टर्नर नामक गुलाम पे आधारित है जिसने गुलामी के विरुद्ध 1831 में अमेरिका…
‘कुठाँव’ की मूल कहानी पर आने से पहले आप ये समझ लें कि ‘कुठाँव’ जिस्म के उस हिस्से को कहते हैं जहाँ चोट लगने से सबसे ज़्यादा तकलीफ होती है.…
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