औरत की कोख से निकले, हूरों के पसतान(1) नापते मौलवी
Author: Sarim
औरत की कोख से निकले,हूरों के पसतान(1) नापते मौलवी बदकिरदार हांकिमो को सनद(2) बांटते मौलवी,हमारे लिबास से हमारे किरदार जांचते मौलवी दरबारी मौलवी, पेशावर मौलवी,जिनकी ज़ुबान हिलती नहीं,भूख से बिलखते इंसान देख कर जिनकी सोच जागती नहीं,जिंदानो (3) में बेगुनाह जिस्म देखकर जिनको नजर आते नहीं,नन्ही बच्चियों के जिस्मों को नोचते भेड़िए जिनकी ज़ुबान चुप है देख कर,मासूम बच्चों के जिस्मों को चीरते दरिंदे मगर हम बेपर्दा औरतें,खुदा का आजाब (4) है हम जींस पहन कर काम करती मजदूर औरतें,वबा (5) का सबब हैं मसरूफ खुदा जाने कब पढ़ेगा अफकार अल्वी (6) का पैगाम
परवरदिगार अपने खलीफे को रस्सी डाल शहनाज शोरू (हिन्दी अनुवाद: सारिम इक़बाल)
शब्दार्थ -
1- औरत की छाती
2-गुणों का वर्ण - पत्र
3-कैदखाना
4- दंड
5- छुआछूत की बीमारी
6- कवि का दर्द
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