मैं तेरे इश्क़ में

मुझको पहचान ले! मैं वही हूं के‌ जिसने तुझे सेब खाने प उकसाया था। फिर भी तूने नहीं सेब तो जानेमन मैंने ही खाया था। और फिर कितनी चालाकी से तेरे सर मंढ दिया मैंने अपना गुनाह।


25 April 20223 min read

Author: Sarmad

जानेमन!

मैं तेरे इश्क़ में सर ब सर मस्त हूं।

इसलिये तुझको तलक़ीन करता हूं सुन।

मैं वो वहशी हूं जो इश्क़ के भेस में तुझसे दो चार है।

भोली सूरत में पिनहां कोई चोर है, कोई अय्यार है।

मुझको पहचान ले!

मैं वही हूं के‌ जिसने तुझे सेब खाने प उकसाया था।

फिर भी तूने नहीं सेब तो जानेमन मैंने ही खाया था।

और फिर कितनी चालाकी से तेरे सर मंढ दिया मैंने अपना गुनाह।

मुझको पहचान ले!

मैं वही हूं के जिसने तेरे जिस्म ‌को तेरे शानो तलक रेत में धांस कर…

तेरे सर‌ के निशाने लगाये हैं सहरा के तपते हुये पत्थरों से के जिनको पकड़ने से हाथों में छाले पड़ें।

तू ने देखा तो था! बे रहम भीड़ में तेरा बेटा भी था।

मुझको पहचान ले!

मैं वही हूं के जिसने तेरे जिस्म को मिलकियत जान कर आग के इम्तेहां के हवाले किया।

मैं वही हूं के जो भेस साइल‌ का धर कर तुझे तेरे घर से चुरा ले गया।

तुझको मअलूम है?

तू के मेरे लिये सर ब सर जिस्म है।

मेरे नाख़ुन नथूनों से छू और महसूस कर उस लहू की महक जो किसी गुल बदन के बदन को ख़ुरचने के बाइस नख़ूनों में, पोरों में पैवस्त है।

मेरे अंदर छुपे भेड़ियों और ख़ूंख़्वार कुत्तों से बच।

एक वहशी दरिंदे की फ़ितरत की मजबूरियों को समझ।

जिस्म की आरज़ू जब मुहब्बत का परचम उठाये तेरी सम्त को आऐगी तो तुझे सब्र से काम लेना है दोस्त।

जब्र से काम लेना है दोस्त।

तू अभी तक उसी एक जुमले प अटकी हुई है मगर।

मैं तेरे इश्क़ में सर ब सर मस्त हूं।

ये भी फंदा है जो तुझको मेरे ही जैसे दरिंदे की हय्यत में लाने की ख़ातिर लगाया गया है।

मेरे फंदों से बच।

ख़ुद को महफ़ूज़ रख।

और हां!

जिस्म की ये हवस तो छलावा है बस।

जो तेरा ध्यान भटका के रक्खे हुये है तेरी रूह की सम्त से।

तुझको मअलूम है!

मैं तेरे ज़हन को बेड़ियों में जकड़ने के चक्कर में हूं।

तुझको मअलूम है!

साअत ए वस्ल में तुझको नीचे लिटाने के पीछे भी इक बदनुमा मस्लेहत को छुपाया गया।

तू तो लज़्ज़त में है।

लज़्ज़तों से निकल!

ध्यान रख!

मर्द तब तक भरोसे के लायक़ नहीं जब तलक उस के अंदर की औरत नमूदार होने में कासिर रहे।

जानेमन

मैं तेरे इश्क़ में सर ब सर मस्त हूं।

तुझसे हो जाये तो मुझ दरिंदे को चाहत के, उलफ़त के लायक़ बना।

ज़ह्न ओ दिल की तरफ़ से किसी तरह से मुझको औरत बना।

सरमद


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